Saturday, July 25, 2020

Be Independent (आत्म निर्भर बनो। )

आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती मुंबई में आर्य समाज मंदिर में प्रवचन कर रहे थे। प्रवचन के बाद एक व्यवसायी ने स्वामी जी को प्रणाम किया तथा अपने दस वर्षीय पुत्र को आर्शीवाद देने के लिए प्रार्थना की।

स्वामी जी ने उसके पुत्र से पूछा, ’’बेटा, अपना काम स्वयं करते हो या नौकर से करवाते हो?’’ उसने विनम्रतापूर्वक कहा, ’’माता-पिता मुझे कोई कार्य करने ही नहीं देते, नौकर से करवाते हैं।’’ स्वामी जी ने उसे समझाया, ’’ आज से अपना कार्य स्वयं करने का संकल्प लो। प्रातः काल सूर्योदय से पहले शैया त्यागकर मुंह-हाथ धोकर सबसे पहले अपने माता-पिता को प्रणाम करो। नौकर पर निर्भर रहने से तुम आलसी बन जाओगे। जो कार्य स्वयं न कर सको, उसके लिए दूसरों लोगों से सहायता लो।’’

स्वामी जी ने फिर उसके पिता की ओर देखकर कहा, ’’तुम धनिक लोग अपने बच्चों को आलसी बनाने के अपराधी हो। बच्चों को स्वयं कार्य करने दो। तभी वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे। स्वामी जी के प्रेरणादायक, कल्याणकारी उपदेश सुनकर पिता-पुत्र उनके सामने नतमस्तक हो गये।
-दैनिक अमर उजाला से साभार संकलित