Tuesday, November 24, 2020

तकलीफों का समाधान


क्या आप कभी किसी झरने के पास बैठें हैं? उसकी ध्वनि सुनी है? वो ध्वनि, मन को शांत कर देती है। हमारे अन्दर एक आंनद सा भर देती है। एक नैसर्गिक संगीत सुनाई देता है। कभी सोचा है कि यह संगीत उत्पन्न करने के लिए जल को कितना परिश्रम करना पड़ता है? क्या कुछ करना पड़ा होगा, सोचिए वो जल कहां-कहां से गिरा होगा, वोह किन-किन चट्टानों से जाकर टकराया होगा? किसी तीखी रेखाओं को लांघा होगा, अपने तन में समाए उन पत्थरों से कैसे संघर्ष किया होगा? कैसे आगे बढ़ा होगा?  यह सब होने के पश्चात् ही यह संगीत सुनना सम्भव हुआ होगा। झरने का यह सुन्दर संगीत आपके कानों तक कभी पहुंचता ही नहीं, यदि उस जल का विरोध करने वाले पत्थर न होते। 

इन सबका तात्पर्य एक ही है कि इन बाधाओं का सामना करें। सभी के जीवन में बाधाएं तो आती हैं उनका सामना करना सीखें और जीवन में आगे बढे़। आप भी नैसर्गिक संगीत को उत्पन्न करें और संसार में शान्ति फैलाएं। संसार में नियति बहुत कुछ निश्चित करती है जैसे हर एक वस्तु की सीमा, शरीर से जाने वाला जल, उसकी सीमा भी नियति निश्चित कर चुकी है, कैसे? यदि आपने उचित समय पर परिश्रम करके अपना पसीना नहीं बहाया तो कुछ समय बाद आपको आंसू बहाने होंगे। यदि भाग्य से सब कुछ मिल भी जाए तो कर्म से रक्षित करना पड़ता हैं यदि परिश्रम करोगे तो जो पाया है, उसे सहेज कर रख सकोगे और जो पाना चाहते हो वो अवष्य ही पा जाओगे। यदि परिश्रम नहीं करोगे तो जो पाया है, उसे तो खो ही दोगे और जो पाना चाहते हो, उसका तो प्रश्न ही नहीं उठता। यह आपके हाथ में है कि आप पसीना बहाना चाहते हो या आंसू।

’’कोई लक्ष्य मनुष्य के साहस से बड़ा नहीं! हारा वही है जो लड़ा नहीं।’’

Friday, November 20, 2020

राम का नाम Lord Rama



राम केवल नाम नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति का अधिष्ठान तत्व है। यह भारतीय संस्कार परंपरा की रीढ़ है। यह सनातन संस्कृति एवं धर्म का प्राणतन्त्र है। यह शब्द राष्ट्र मंगल का जयघोष है। राम आदर्श के चरमबिन्दु हैं। धीरता के सागर हैं। विनम्रता के शिखर हैं। मैत्रीभाव के गौरव हैं। वात्सल्य की गागर हैं। यदि भारतीय सनातनी गौरवमयी परंपरा की कल्पना राम नाम के बिना की जाए तो यह संभव नहीं है। राम हर जन के रोम-रोम में बसे हुए हैं। राम भारतीय जनमानस के हृदय का स्पंदन हैं।

मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम का जीवन प्रेरणा की पुस्तक है। संस्कार की पाठशाला है। व्यक्ति का जीवन कैसा हो? वह अपने जीवन में उच्च आदर्श कैसे स्थापित करे? यह हम राम के जीवन से सीख सकते हैं। राम केवल आध्यात्मिक पुरुष नहीं हैं। वह आधुनिकता में भी नवीनता के चरम हैं।  राम में प्रबंधन है। राम प्रबंधन के श्रेष्ठ गुण हैं। राम समाज अभियांत्रिकी के मूल हैं। भारतीय जनमानस सदियों से राम नाम से ही जीवन का अर्थ सीखता रहा है। राम नाम के सहारे ही वह जीवन नैया का पार लगाने का उपक्रम करता है। यह नाम ही उसे कई अवगुणों से बचाता आ रहा है।

राम नाम में अद्भुत लोकजीवन बसा हुआ है। यह नामशक्ति एवं सामर्थ्य की घुट्टी है। यह सकारात्मकता का उच्चतम बिंदु है। आलोचना का सकारात्मकता का उच्चतम बिंदु है। आलोचना का विष पीकर व्यावहारिकता का अमृत कैसे बांटा जाए, यह राम से सीखा जा सकता है। राम और राम नाम दोनों ही हमें भक्ति एवं शक्ति का मार्ग दिखाते हैं। यह ऐसा मार्ग है जो जीवन की वास्तविकता से हमें परिचित कराता है। राम नाम के सहारे ऋषि-मुनियों ने जीवन तत्वों की खोज की है। ये तत्व मोक्ष के द्वार खोलते हैं, जिन्हें प्राप्त कर जीवन अमृत रस का पान किया जा सकता है। इससे हमें वैचारिक शुचिता का उपहार मिलता है। 

                                                                                     -ललित शौर्य दैनिक जागरण दिनांक 6 सितम्बर, 2020