जो लोग सहज-स्वाभाविक प्रसन्नता पर अपने सिद्धान्तों को प्राथमिकता देते हैं वे अपनी बनाई हुई शर्त्तों से बाहर खुश नहीं हो सकते। उन्होंने अपने खुश होने का एक मापदंड बना रखा है। लेकिन यह गलत है। जीवन छोटा है, ऐसे में किसी के बेहद मूल्यवान समय को नष्ट करना पाप ही है। लेकिन जीवन में सक्रियता का अर्थ अगर खुद को खो देना है, तो वह सक्रियता भी समय नष्ट करने के बराबर है।
हमारे जीवन में समाचार पत्र या समाचार ग्रहण करना, कैफे जाना या पर्यटन महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये हमें अनुभव देते हैं और एक हद तक भय से भी मुक्त करते हैं। यदि हम अपने कार्यालय या फैक्ट्ररी में नियत घंटों की अवधि तक खुद को छिपाये रखें तो षायद हमें अपने आस-पास भी निरंतर हो रहे परिवर्तनों का आभास नहीं हो पायगा। यदि कोई अपने कार्यालय में या प्लान्ट में जोर जोर से चिल्लाता है तो यह स्पष्ट हो जाता है कि वह उस स्थान के बाहर अकेला है और कार्यालय या प्लान्ट में उसकी चिल्लाहट उसके अकेलेपन की पीड़ा को कम करती है।
कभी-कभी मेरी इच्छा करती है कि मैं एक उपन्यास लिखूं जिसमें नायक कहे कि यदि कार्यालय बन्द हो जाये तो उसका क्या होगा। या यह कहे कि उसकी पत्नी मर गई है लेकिन सौभाग्य से उसे कुछ आर्डर मिल गये हैं जिन्हें कल तक पूरा करना है। आपको पर्यटन इन चिन्ताओं से मुक्त कर सकता है। परिचित लोगों की परिचित भाषा से दूर, रोजमर्रा की चीजों और उपकरणों से वंचित कर रहा आपके चेहरे पर पड़ा औपचारिकता का नकाब आपको फेंक देना चाहिए और यह तभी संभव है जब आप ऐसा करने का दृढ़ संकल्प करते हैं।
जीवन छोटा है, ऐसे में किसी के बेहद मूल्यवान समय को नष्ट करना पाप है। वे कहते हैं कि वे सक्रिय हैं। लेकिन जीवन में सक्रियता का अर्थ अगर स्वयं को पूरी तरह अपने कार्य में खो देना है तो वह सक्रियता भी समय की बर्बादी है। मान लो, आपने कोई दिन निश्चित किया है कि आप उस दिन विश्राम करेंगे। और उस दिन जब आप विश्राम करने के लिए तैयार होते हैं आपका दिल खुशियों की तलाश में जुटना चाहता है कि कोई दुखी हताश व्यक्ति आपसे मिलने आ जाता है, आप महसूस करेंगे कि वह दुरुह क्षण भी आपके हाथ से फिसल जायेगा। तब आपको निश्चय करना होगा कि आप क्या करेंगे।
हम यह भी मान सकते हैं कि सहज और मानवीय होना ज्यादा बेहतर है। इन हालातों में दुखी मानव से बात करना ज्यादा अच्छा होगा। लेकिन हर बार आप ऐसा करेंगे तो आप स्वयं भी दुखी हो सकते हैं। आपको अपनी प्राथमिकताओं को निश्चित करना होगा कि आप पर्यटन पर जाना चाहते हैं या अपने उन पारिवारिक लोगों से मिलना चाहते हैं जिनसे कार्य की अधिकता के कारण काफी समय से मिल नहीं पाये और तदानुसार आपको अपने कार्यक्रम निश्चित करने चाहिए। आपको वर्तमान में जीना होगा और सुखद वर्तमान ही आपके सुखद भविष्य की बुनियाद है।