माँ अर्लाम है, माँ डाक्टर है, माँ हौसला है, माँ हिम्मत है, माँ कमजोरी है, माँ प्यार है, माँ दोस्त है। मेरी तकदीर में एक भी गम न होता, अगर तकदीर लिखने का हक मेरी माँ को होता। हां, दोस्तो! ऐसी ही होती है, माँ। रोटी एक माँगता हूँ, लाकर दो देती हैं। माँ तो सबकी जगह ले लेती हैं, लेकिन माँ की जगह कोई नहीं ले सकता। इसलिए कहते हैं कि कभी अपनी माँ का दिल नहीं दुःखाना चाहिए।
हर रिश्ते में मिलावट हो सकती है लेकिन माँ के रिश्ते में कभी मिलावट नहीं देखी। हम थक जाते हैं, मगर माँ के चेहरे पर कभी थकावट नहीं देखी। दिन भर की थकावट के बाद जब हमें भूख लगती है, तो माँ का खाना याद आता है। वो चूल्हे पर हाथ जलाकर रोटी पकाना और फिर डांट-डांट कर खिलाना याद आता है। याद रखना, जब पूरी दुनिया आपका साथ छोड़ दे, तब भी माँ आपका साथ नहीं छोड़ेगी। वो सदा आपका भला ही चाहती है। जब कभी चोट लग जाती है तब पहला लफ्ज़ मुँह से ’’माँ’’ ही निकलता है। बचपन में बिना बोले माँ हमारी बातों को समझ जाती थी और, आज हम हर बात पर कहते हैं कि माँ, आप नहीं समझोगी। एक माँ ही है, जो बिना छुट्टी और मेहनताना वसूले सालों साल अपनी औलाद के सुखों का ख्याल रखती है।
दुनिया क्या कहती है, उसे कोई फर्क नहीं पड़ता। माँ नौ महीने अपने पेट में रखती है, हमें चलना सिखाती है, जिन्दगी भर अपने दिल में रखती है, उस माँ की कद्र कीजिए। दोस्त पूछते हैं कि कितना कमाया? पत्नी पूछती है कि कितना बचाया? बेटा पूछेगा कि मेरे लिए क्या लाए? लेकिन माँ एक ऐसी शख्सियत है जो पूछती है कि बेटा कुछ खाया कि नहीं!! माँ ईश्वर का प्रतिनिधि है और बच्चों के लिए स्वयं ईश्वर है।
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