Saturday, October 24, 2020

Father पिता



बेशक पिता लोरी नहीं सुनाते, माँ जैसा प्यार नहीं जताते। लेकिन दिन भर की थकान के बावजूद रात का पहरा बन जाते हैं। और जब निकलते हैं घर से तिनकों की खोज में किसी की किताबें, किसी के खिलौने, किसी की मिठाई और किसी की दवाई पूरा करते हैं घर भर के सपने पिता कब के होते हैं, खुद के अपने। पिता रोटी है, कपड़ा है और मकान है, पिता नन्हें से परिन्दे का बड़ा सा आसमान है। पिता से माँ की बिन्दी और माँ का सुहाग है। पिता है तो बच्चों के सारे सपने हैं, पिता है तो बाजार के सारे खिलौने अपने हैं। 

मंजिल दूर और सफर बहुत है, छोटी सी जिन्दगी में फिक्र बहुत है। मार डालती यह दुनिया कब की हमें, लेकिन पापा आपके प्यार में असर बहुत है। पिता के बिना जिन्दगी वीरान होती है, तन्हा सफर में हर रात सुनसान होती है। जिन्दगी में पिता का होना जरुरी है, पिता के साथ से हर राह आसान होती है। धरती सा धीरज दिया आसमान सी ऊंचाई है। जिन्दगी को तराश कर खुदा ने यह तस्वीर बनाई है। हर दुःख हो बच्चों का, खुद सह लेते हैं उस खुदा की जीवित प्रतिमा को हम पिता कहते हैं। मुझे रख दिया छांव में, खुद जलते रहे धूप में। मैंने देखा है एक ऐसा फरिश्ता, अपने पिता के रुप में। एक ऐसी रोशनी, जो उम्र भर झिलमिलाती है। सीख तो अन्तिम समय भी काम आती है। पिता वह षह है जिससे हर मुसीबत हार जाती है। सभी रिश्ते हैं मतलब के, पिता ही असल साथी है। वही है धन्य जो चरणों में उनके शीश झुकाता है। पिता कहते हैं जिसे हम, वोह ही विधाता है।


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